सूरिजी,विजय कलापूर्ण.

मिले मन भीतर भगवान/ श्री विजयकलापूर्ण सूरिजी - जयपुर: जैन श्वे. संघ, 1985. - vii, 227p.; 21 cm.


Philosophy, Jaina
Jainism

181.044 / MAH