कानजी प्रवचन रत्नाकर समयसार गाथा 181 से 214 तक कानजी; सम्पादक हुकमचन्द भरिल्ल; अनुवादक रतनचचन्द भरिल्ल - द्वितीय संस्करण - जयपुर पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट 1997 - xiv, 313p. 25cm Contents: Pt.6 ISBN: Rs.16 Subjects--Index Terms: Dewey Class. No.: KAN