छान्दोग्योपनिषद्
Material type:
- Chāndogyopaniṣad
- BIR
- 7
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Indira Gandhi National Centre for the Arts | BIR7 (Browse shelf(Opens below)) | Available | BI346 |
Incomplete
तद्वैतद्ब्रह्मा प्रजापतय उवाच प्रजापतिर्मनवे मनुः प्रजाभ्यः आचार्यकुलाद्वेदमधीत्य यथाविधानं गुरोः कर्मातिशेषेणामिसमावृत्य कुटुम्बे शुचौ देशे स्वाध्यायमधीयानो धार्मिकान्विदधदात्मनि सर्वन्द्रियाणि संप्रतिष्ठाप्य हि तन्सर्वभूतान्यन्यत्र तीर्थेभ्यः स खल्वेवं वर्त्तयन्यावदायुषं ब्रह्मलोकं ब्रह्मचर्येणाभिसंपद्यते न च पुनरावर्तते न च पुनरावर्तते।।
MFL
New Delhi
IGNCA
Sanskrit
Devanagari
Devanāgarī
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