परिप्रेक्ष्य को सही करते हुए:
चौहान, शिवदान सिंह
परिप्रेक्ष्य को सही करते हुए: प्रगतिवाद: प्रगतिशील/ by शिवदान सिंह चौहान; संपादक विश्वम्भरनाथ उपाध्याय - नयी दिल्ली; वाणी प्रकाशन, 1999 - 321p.; 22.2cm.
8170556481
Hindi literature
Criticism
891.4309 / CHO
परिप्रेक्ष्य को सही करते हुए: प्रगतिवाद: प्रगतिशील/ by शिवदान सिंह चौहान; संपादक विश्वम्भरनाथ उपाध्याय - नयी दिल्ली; वाणी प्रकाशन, 1999 - 321p.; 22.2cm.
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