अलंकारसर्वस्वम् जयरथकृत 'विमर्शिनी' समुपेतम्
रुय्यक, राजानक
अलंकारसर्वस्वम् जयरथकृत 'विमर्शिनी' समुपेतम् राजानक रुय्यक एवम् मंखक; अनुवादक रेवाप्रसाद द्विवेदी - द्वितीय संस्करण - वाराणसी चौखम्भा संस्कृत संस्थान 1979 - 768p. 22cm - काशी संस्कृत ग्रन्थमाला नं.206 .
Poetics
Rhetoric
808.1 / RUY
अलंकारसर्वस्वम् जयरथकृत 'विमर्शिनी' समुपेतम् राजानक रुय्यक एवम् मंखक; अनुवादक रेवाप्रसाद द्विवेदी - द्वितीय संस्करण - वाराणसी चौखम्भा संस्कृत संस्थान 1979 - 768p. 22cm - काशी संस्कृत ग्रन्थमाला नं.206 .
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Rhetoric
808.1 / RUY